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ये हैं हरियाणा सरकार की दीन दयाल जन आवास योजना की खास बातें जो आप नहीं जानते होंगे

April 21, 2016   |   Anshul Agarwal
हरियाणा राज्य सरकार ने फरवरी 2016 में दीन दयाल जन आवास योजना को मंजूरी दी थी, जिसे उसी साल कुछ वक्त बाद नोटिफाई कर दिया गया। 'सभी को घर' के मकसद से लॉन्च की गई इस स्कीम के तहत राज्य के मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों को किफायती आवास मुहैया कराया जाएगा। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल वाली इस स्कीम में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की क्षमताओं का इस्तेमाल किया जाएगा। इस योजना में राज्य सरकार उदारवादी नीतिगत ढांचे के जरिए पूरे हरियाणा में उच्च घनत्व वाले प्लॉटों की कॉलोनियों को बढ़ावा देगी। यह भी अनिवार्य है कि सभी प्रोजेक्ट्स लाइसेंस मिलने की तारीख से सात साल के अंदर पूरे हो जाने चाहिए।
 
आइए आपको इस स्कीम की कुछ खास बातों से रूबरू कराते हैं: 
 
-इस श्रेणी के तहत प्रोजेक्ट के विकास के लिए शहर के कुल नियोजित आवासीय क्षेत्र का केवल 30 प्रतिशत हिस्सा ही दिया जाएगा। इस स्कीम में अधिकतम प्लॉट एरिया 150 वर्ग मीटर निर्धारित किया गया है। इन प्लॉटों के अधिकतम फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) दो होंगे और कुल जमीन कवरेज 65 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। 5 से 15 एकड़ वाले एरिया में प्रोजेक्ट बनाया जा सकता है। 
 
-जो एरिया सड़कों के तहत आएगा, वह कुल लाइसेंस क्षेत्र के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता। इसके अलावा बिल्डर को लाइसेंसप्राप्त कॉलोनी का 10 प्रतिशत एरिया सरकार को मुफ्त में देना होगा, ताकि वह उस जमीन पर सामुदायिक सुविधाएं मुहैया करा सके। 
 
-बिल्डर्स स्टिल्ट पार्किंग (गाड़ियां खड़ी करने के लिए बनाया गया एरिया) के साथ स्वतंत्र प्लॉट्स भी रजिस्टर करा सकते हैं। वह 50 प्रतिशत एरिया अलॉट कर सकते हैं, जबकि बाकी का 50 प्रतिशत सरकार के पास रहेगा। लेकिन वह उस पर विकास कार्य कर सकते हैं। 15 प्रतिशत इलाका आंतरिक विकास कार्यों के लिए गिरवी रहेगा। 
 
-डिवेलपर को पारस्परिक रूप से निर्धारित दरों पर संबंधित नगरपालिका में आंतरिक विकास कार्यों की लागत जमा करने का विकल्प दिया है। 
 
-बिल्डर कुल बिक्री योग्य एरिया के 15 प्रतिशत रिहायशी प्लॉटों को गिरवी रख सकता है। लेकिन इसके लिए उसे प्राधिकरण के पास सिक्योरिटी जमा करानी होगी। अगर भविष्य में कोई अपराध होता है तो यह सिक्योरिटी के तौर पर काम करेगा। कम क्षमतावान क्षेत्रों के लिए 10 हजार प्रति एकड़ की लाइसेंस फीस तय की गई है। वहीं मध्यम क्षमतावान क्षेत्रों के लिए यह दर 1 लाख प्रति एकड़ है। 
 
-इस स्कीम के तहत कन्वर्जन एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट चार्जेज (आईडीसी) को माफ कर दिया गया है और एक्सटर्नल डिवेलपमेंट चार्ज (ईडीसी) और लाइसेंस शुल्क में काफी कमी की गई है। डिवेलपर्स को दो विकल्प दिए गए हैं-या तो वे कुल बिक्री क्षेत्र का 15 प्रतिशत एरिया गिरवी रख सकते हैं या आंतरिक विकास कार्यों के लिए उन्हें बैंक गारंटी देनी होगी। 
 
-इस पॉलिसी के तहत आवेदन स्कीम की नोटिफिकेशन की तारीख के 90 दिनों के भीतर देनी थी। अगर किसी खास क्षेत्र में हासिल हुए आवेदनों की कुल संख्या कुल क्षेत्र से ज्यादा है, जिसकी अनुमति पॉलिसी के तहत दी गई है तो मानदंडों को पूरा करने वाले सभी आवेदकों को पांच एकड़ का न्यूनतम क्षेत्र देने के लिए योग्य माना जाएगा। अगर आवेदकों की कुल संख्या कुल क्षेत्र से कम है तो हर आवेदक को लीज के योग्य माना जाएगा। यह न्यूनतम और अधिकतम क्षेत्र मानदंड पर निर्भर करेगा। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर जनरल को कुल अनुमति क्षेत्र को 40 प्रतिशत तक बढ़ाने का अधिकार दिया गया है। 
 
-आवेदन करने के छह महीनों के भीतर डेवलपर्स को उनके आवेदन पर एक पत्र जारी किया जाएगा, जिसमें आगे की योजना या अस्वीकृति लिखी होगी। 



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